हाईकोर्ट ने स्थानांतरण की आड़ में शिक्षकों के अटैचमेंट निरस्त कर कोर्ट ने साफ कहा कि डीईओ को शिक्षकों के अटैचमेंट का अधिकार नहीं

बिलासपुर। विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय मस्तूरी अंतर्गत विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी एक शिक्षक को शिक्षकीय व्यवस्था की आड़ में अपने निजी लाभ के लिए पद का दुरुपयोग करने में भी गुरेज नहीं करते। ना ही सिविल सेवा आचरण नियम का पालन करते हैं ना ही उनके कार्यो में अपने उच्च अधिकारियों का भय ही नजर आता है वो तो कलेक्टर के आदेश का भी पालन करना जरूरी नहीं समझते।यह हम नहीं कह रहे बल्कि शिक्षा विभाग के एक शिक्षक नें हमें नाम नहीं छापने की शर्त में विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय मस्तूरी द्वारा जारी एक शिक्षक का शिक्षकीय व्यवस्था आदेश की कॉपी भेजकर शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था और अधिकारी का पद दुरपयोग का खुलासा किया है। अब हम अपने पाठकों को बता दें कि शिक्षक नें बताया कि शासकीय प्राथमिक शाला लावर में कुल 182 छात्र अध्ययनरत हैं और 6 शिक्षक हैं यह स्कूल ना तो शिक्षक विहीन है ना एकल शिक्षकीय और मजे की बात यह कि इस स्कूल का संकुल भी अलग है। आश्चर्य की बात यह कि शिक्षक जिस स्कूल से आए हैं वहाँ 65 दर्ज छात्रों में 6 शिक्षक पदस्थ हैं। जानकर कहते हैं कि नियमानुसार विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्ताव भेजना चाहिए था जिला शिक्षा अधिकारी कलेक्टर को अनुमोदन के लिए पत्र लिखते यदि कलेक्टर अनुमोदन कर देते तब आदेश जारी कर शिक्षक को अध्यापन व्यवस्था के तहत भेज दिया जाता। यदि स्कूल शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय या फिर एक ही संकुल अंतर्गत होता। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि शिक्षक को अध्यापन कार्य के लिए उस स्कूल में भेजा जा रहा है जहाँ पहले से ही 6 शिक्षक पदस्थ हैं क्यों । दूसरा यह कि लावर संकुल अंतर्गत किसी अन्य शासकीय स्कूल के शिक्षक को अध्यापन कार्य व्यवस्था के लिए भेजा जाना चाहिए था यह कार्य दूसरे संकुल से क्यों। जानकर कहते है कि शिक्षक व्यवस्था वहाँ की जाय जहाँ एकल शिक्षकीय शाला हो या शिक्षक विहीन। मतलब बीईओ मस्तूरी अध्यापन व्यवस्था की आड़ में लाभ ही लाभ का खेला खेल रहे हैं।एक और एंगल यह कि शिक्षक को बिलासपुर से सीपत आने में 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है मतलब आने और जाने में 40 किलोमीटर की दूरी तय करना होता है प्रतिदिन।वहीं बिलासपुर से लावर की दूरी 12.1/2 किलोमीटर।बीईओ नें 22/10/24 को अपने पत्र क्रमांक 2642 में, आदेश जारी करनें से पहले नियम कायदों को क्यों नहीं सोचा कि भेद खुलने पर अपने उच्च अधिकारियों को क्या जवाब देंगे।बहरहाल तनख्वाह खोर उदासीन उच्च शिक्षा अधिकारियों का क्या,क्या वो खबर को संज्ञान में लेकर मामले की सूक्ष्मता से जाँच करने के साथ साथ अन्य विकास खण्ड में भी शिक्षकीय व्यवस्था के तहत जारी किए गए नियम विरुद्ध आदेश पर जाँच का आदेश देंगे । क्या शिक्षक सत्रांत पश्चात अपने मूल शाला में लौट जाएंगे या सत्रांत का अंत ही नहीं होगा। क्या जिम्मेदार अधिकारियों की इन्हीं हरकतों की वजह से सरकारी स्कूलों के हालात बद से बदतर हैं। फिलहाल गेंद शिक्षा विभाग के उदासीन या तनख्वाह खोर जिम्मेदार अधिकारियों के पाले में है देखना होगा कि शिक्षा सहिंता का पालन करनें में रुचि रखते हैं या ये भी अवसर का लाभ उठा कर मामले को स्वच्छ भारत अभियान के डस्टबीन में डालकर अपने हाथ धोते लेते हैं।