राम गोपाल भार्गव
बिलासपुर। सांदीपनि एकेडमी ने नई शिक्षा नीति के तहत प्रशिक्षार्थियों को मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम में “शिक्षा में शास्त्रीय एवं लोक संगीत के तत्व” विषय से जोड़ना । मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है यह छात्रों को जीवन में सफलता प्राप्त करने के आवश्यक कौशल से पूर्ण करने के लिए डिजाइन किए गए पाठ्यक्रम का हिस्सा है। बी.एड. एवं डी.एल.एड. प्रशिक्षार्थियों के लिए भावी जीवन में पाठ्यक्रम के बोझ से मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है सांदीपनी एकेडमी में मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम के अंतर्गत शिक्षा में शास्त्रीय एवं लोक संगीत के तत्व पर प्रशिक्षण दिया गया। जिसके प्रमुख वक्ता श्रीमती उर्वशी मिश्रा, लोक संगीत की सहायक प्राध्यापक, पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय, बिलासपुर एवं श्रीप्रकाश तिवारी, सहायक प्राध्यापक एवं एच.ओ.डी., डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, कोटा बिलासपुर को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। संगीत के प्रमुख बिंदु एवं उनके विशेष महत्व को भली-भांति समझाया गया। व्याव्हारिक एवं प्रायोगिक के द्वारा संगीत के विषय पर चर्चा की गई। संगीत वाद्य यंत्रों के साथ प्रेक्टिकल कर प्रशिक्षार्थियों को संगीत में जीवन से जोड़ने की कला समझाई गई एवं संगीत हमें हर तरह की भावनात्माक समस्याओं से निपटने में मदद करता है। प्रशिक्षार्थियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। संगीत सभी के जीवन में महान भूमिका निभाता है यह हमें मानसिक स्वास्थ्य की अनुभूति कराता है। सांदीपनी महाविद्यालय के प्रशिक्षार्थियों के जीवन को आनंदमय एवं स्वस्थ मानसिक भावना को जागृत करने का प्रयास किया गया। सांदीपनी महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक श्रीमती सुचित्रा डे के द्वारा मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम में मूल उद्देश्य शास्त्री एवं लोक संगीत के तत्व के विशिष्ट संदर्भ में विकास करना है। जिसमें बी.एड. एवं डी.एल.एड. के सभी प्रशिक्षार्थी सम्मिलित हुए एवं इस कार्यक्रम को संपन्न कराने में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रीता सिंह, सभी सहायक प्राध्यापकों एवं सभी प्रशिक्षार्थियों की उपस्थिति उत्साहपूर्वक एवं सहयोग सराहनीय रहा।