एक नवम्बर के महिमा ल,जन-जन ल समझाना हे।
चलव संगी स्थापना दिवस बर,एक ठन दीया जलाना हे।।
//1//
धान कटोरा जेला कहिथें, अन-धन के ये थाती हे।
वीर नारायण बलिदानी के, पथरा जइसे छाती हे।।
गंगा के जइसे पावन हे, महानदी के पानी जी।
ये भुईया म खेती कर, बीतत सबके जिंदगानी जी।।
संगवारी गुरतूर भाखा के, अमृत धार बोहाना हे।
चलव संगी स्थापना दिवस बर, एक ठन दीया जलाना हे।।
//2//
ये धरती म गउरा, डंडा, करमा सुवा ददरिया हे।
खरे मंझनिया नाँगर जोंतत, कमिया बेटा करिया हे।।
चोंगी ल फूँकत बरवँट म, बुढ़वा आँटत ढेरा हे।
तीज हरेली पोरा कमरछठ, जेठउनी छेरछेरा हे।।
बरा सोंहारी ठेंठरी खुरमी, मिलजुल के अब खाना हे।
चलव संगी स्थापना दिवस बर, एक ठन दीया जलाना हे।।
//3//
हमरो ये पबरीत भुँईया के, चंदन जइसे माटी हे।
ये भुँईया म हरियर हरियर, जंगल पर्वत घाटी हे।।
बड़े – बड़े बिजली संयन्त्र अउ, बड़ खदान हे कोइला के।
लोहा बर भरपूर भरे हे, पथरा बईलाडीला के।
अक्कईसो माता के भी, अब जस गुन हमला गाना हे।
चलव संगी स्थापना दिवस बर, एक ठन दीया जलाना हे।
जय छत्तीसगढ़ महतारी
रचनाकार
उमेश कुमार श्रीवास
खैरा जयरामनगर
तहसील मस्तूरी
जिला बिलासपुर छ ग
मो. नं. – 9584070683