
गुरु घासीदास बाबा जी के आदर्श संदेश – कवि उमेश श्रीवास
दिसम्बर के महिना छत्तीसगढ़ बर सिरिफ ठंड के महिना नो हे, बल्कि ए महिना प्रकाश पर्व के उजास ले भराय रहिथे। ए उजास हमर मन–मन म चेतना, सत्य अऊ समानता के दीप जलाथे। एही उजास के सबले बड़े प्रेरणा स्रोत हवंय — सतनामी समाज के महान गुरु, गुरु घासीदास बाबा जी।
गुरु घासीदास बाबा जी के जीवन सादा, मगर विचार बहुते गहिरा रहिस। वो ह सिखाइस के “मनखे–मनखे एक समान हवे”। ऊँच–नीच, जात–पात, छुआछूत के जंजीर ला तोड़के बाबा जी ह समाज ला मानवता के रास्ता देखाइस। बाबा जी के सबले महान संदेश रहिस — “सतनाम”। सतनाम के मतलब सिरिफ नाम जपना नो, बल्कि सत्य के संग जीना, अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अऊ मेहनत के जीवन जीना आय।
प्रकाश पर्व म बाबा जी के आदर्श अउ घलो उजागर हो जाथे। प्रकाश के मतलब अंधकार ला हटाना — अज्ञान, अंधविश्वास अऊ भेदभाव के अंधकार ला। बाबा जी ह कहिन के ज्ञान के दीप जलाओ, तबे समाज उज्जर होही। ए दिसम्बर के उजास ह हमन ला ए बात याद दिलाथे के मन म अगर सत्य के दीप जल जाही, त बाहिर के अंधेरा खुदे दूर हो जाही।
बाबा जी के संदेश आज घलो उतनेच जरूरी हवंय। जब समाज म भेदभाव, हिंसा अऊ स्वार्थ बढ़त हे, तब गुरु घासीदास बाबा जी के रास्ता — सत्य, अहिंसा, समानता अऊ भाईचारा — हमर बर मार्गदर्शन बनथे। वो ह कहिन के मेहनत के कमई खाओ, नशा–पान ले दूर रहो अऊ सबो संग प्रेम ले व्यवहार करो।
प्रकाश पर्व के ए पावन अवसर म, हमन सब्बो के जिम्मेदारी बनथे के गुरु घासीदास बाबा जी के आदर्श ला अपन जीवन म उतारन। घर–परिवार, समाज अऊ आने वाला पीढ़ी ला सत्य अऊ मानवता के संस्कार देवई। जब तक बाबा जी के संदेश हमर आचरण म जिन्दा रहिही, तब तक समाज म सच्चा उजास बनके रहिही।
जय सतनाम 🙏
जय गुरु घासीदास बाबा जी
जय छत्तीसगढ़ 🌾
✍️ उमेश कुमार श्रीवास
कवि, लेखक एवं साहित्यकार
मु. पो.- खैरा जयरामनगर