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“आपदा में अवसर” — मोदी युग का मंत्र और मेरी जीवन-यात्रा – डॉ. रुपेन्द्र कवि

📅 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्मदिवस पर


रायपुर। मानव वैज्ञानिक, साहित्यकार, लोकहितैषी विचारक
“आपदा को अवसर में बदलना है” — यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि वह आत्मिक दृष्टिकोण है, जिसने कोरोना जैसे वैश्विक संकट के बीच भी भारत को आत्मनिर्भरता, नवाचार और सेवा के पथ पर अग्रसर किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का यह मंत्र केवल प्रशासनिक रणनीति नहीं था, यह एक जनचेतना का आह्वान था — जो हर नागरिक से कहता है: “संकटों से घबराइए नहीं, उन्हें अवसर में बदलिए।”
मोदी जी के जन्मदिवस पर जब देश उनके नेतृत्व का सम्मान कर रहा है, तब मैं व्यक्तिगत रूप से इस विचार के प्रति अपनी आस्था, अनुभूति और सहभागिता को साझा करना चाहता हूँ।
त्रासदी में त्राण: प्रधानमंत्री की नेतृत्व-शैली का परिचायक
जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी, और भय, भ्रम एवं असहायता की स्थिति में थी — भारत ने मोदी जी के नेतृत्व में संकट को संकल्प में बदला।
“आत्मनिर्भर भारत” का आह्वान कर स्थानीय उत्पादन और रोजगार को प्रोत्साहित किया गया।
डिजिटल भारत को गाँवों तक ले जाने का काम हुआ।
स्वास्थ्य सेवा और वैक्सीन निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
यह सब तभी संभव था जब देश का नेतृत्व दूरदृष्टि, साहस और संवेदनशीलता से भरा हो।
मेरे अनुभव – शोध से सेवा तक
उस समय मैं जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (TRTI), क्षेत्रीय इकाई, जगदलपुर में पदस्थ था। आदिवासी अंचलों की संवेदनशीलता और भौगोलिक चुनौतियों के बीच, यह समय केवल कार्यालय में बैठने का नहीं, बल्कि मैदान में उतरकर योगदान देने का था।
📘 शोध और प्रकाशन
लंबे समय से किए गए फील्ड शोधों को मैंने लॉकडाउन काल में लेखबद्ध कर दस्तावेज़ीकृत किया। सौभाग्य से TRI ने उन्हें भरपूर प्रकाशित करवाया। यह मेरे लिए एक मौन साधना थी — जिसमें मेरी लेखनी ने समाज को दिशा देने की कोशिश की।
🧺 सेवा का गिलहरी‑प्रयास
बिना किसी प्रचार या दिखावे के, कई बार सपत्नी, तो कभी सामाजिक कार्यकर्ता मित्रों के साथ मिलकर, हम बस्तर के दूरस्थ गाँवों में पहुँचे।
हमने मास्क, सैनिटाइज़र, चिकन, दाल-चावल जैसी आवश्यक सामग्रियाँ बाँटीं। यह केवल दान नहीं, दायित्व था — जो मोदी जी की सोच “आपदा में अवसर” से ही संभव हो सका।
🙏 एक नई भूमिका, वही पुरानी भावना
बाद में, जब मुझे राजभवन में उप सचिव के रूप में पदस्थ होने का सौभाग्य मिला, तब भी वह सेवा भावना मेरे भीतर जीवंत रही।
यह ईश्वर की कृपा है कि पद बदलने के बावजूद मुझे जनसेवा के नए-नए द्वार खोलने के अवसर मिलते रहे।
यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि
“पद केवल उत्तरदायित्व बढ़ाता है, पर सेवा की भावना भीतर से ही जन्म लेती है।”
निष्कर्ष: यह जन्मदिवस नहीं, प्रेरणा का पर्व है
आज जब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिवस मना रहे हैं, यह केवल उनके जीवन की उपलब्धियों का उत्सव नहीं — बल्कि उस विचार की विजय है जो कहता है:
“हर संकट में संभावना है, हर पीड़ा में परिवर्तन की चिंगारी है।”
उनके इस मंत्र — “आपदा में अवसर” — ने हम जैसे असंख्य लोगों को कर्तव्य पथ पर अग्रसर किया।
हमने उस समय भी अपने स्तर से हाथ बँटाया — शोध से सेवा तक — और यही है नए भारत की आत्मा।
📌 लेखक परिचय:
डॉ. रुपेन्द्र कवि — मानव वैज्ञानिक, साहित्यकार एवं लोकहितैषी विचारक।
पूर्व में TRTI, क्षेत्रीय इकाई, जगदलपुर में कार्यरत, वर्तमान में राजभवन (छत्तीसगढ़) में उप सचिव के रूप में पदस्थ।
बस्तर के जनजीवन, संस्कृति और जनकल्याण के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय लेखन व सामाजिक भागीदारी।
📰 विशेष आलेख

Ramgopal Bhargav

मेरा नाम रामगोपाल भार्गव है, मैं (नवा बिहान न्यूज़) पोर्टल का संपादक हूँ। Navabihannews.com एक हिन्दी न्यूज़ पॉर्टल है इस पोर्टल छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश दुनियाँ की खबरों को प्रकाशित किया जाता है।

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